AMIT TRAVEL VLOG:

                                                                    ऋषिकेश यात्रा 



                                 पहाड़ , बारिश , बादल , गंगा की लहरें.. ऋषिकेश की खूबसूरती से जब हुई रूबरू.. गंगा में डूबकी लगाना , जानकी सेतु पर झुलना , पहाड़ों से गुजरने का आनंद । दिल्ली से हमारी बस ऋषिकेश के लिए खुल चुकी थी. रात का सफ़र था पर उत्तराखंड की खुबसूरत वादियों में खोने की ऐसी बेताबी कि नींद आंखों से कोसों दूर थी. रात के अंधेरे में बस अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ रही थी, तो इधर हमलोग भी ऋषिकेश के इस सफ़र को खूब एंजॉय कर रहे थे. सुबह पांच बजे हम उत्तराखंड पहुंचे. बस की खिड़की से आती ठंडी हवाओं के झोंके एक अलग अहसास करा रहे थे. बाहर का नजारा बिलकुल अभिभूत करने वाला था. घुमावदार रास्ते, पहाड़ों के बीच से गुजरते बादल, चारों तरफ बिखरी हरियाली, नजरें जहां तक जाती, हर तरफ प्रकृति की अथाह खूबसूरती बिखरी पड़ी थी. हल्की नींद में जब ठंडी हवाएं खिड़कियों से अंदर आकर चेहरे को छू ले, पहाड़ों और दूर जंगलों से आती आवाज कानों में मीठी सी तान छेड़कर जगाए. किसी ऐसी जगह की ही मुझे खोज थी. लंबे अरसे के बाद मन रोजमर्रा के कामकाज और जिम्मेदारियों से अलग कुछ समय के लिए किसी सुकून वाली जगह की तलाश में था. और आख़िरकार उत्तराखंड पहुंच कर मेरी ये  तलाश ख़त्म हुई. करीब 6 बजे हमारी बस ऋषिकेश पहुंची. यहां जानकी सेतु (झुला पुल) के नजदीक हमारी गाड़ी आकर रुकी. बस से उतरते ही सामने मां गंगा के दर्शन हो गए. सच में, यात्रा का एक अलग ही सुख और महत्व होता है. नए – नए जगहों पर जाना, घूमना – फिरना, ये सब हमें काफी कुछ सिखाती हैं. तभी तो कहा गया है “सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहां, जिंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहां.” सुबह उगते सूर्य की रोशनी के बीच कल – कल बहती गंगा की लहरें खूब चमक रही थी. नवनिर्मित जानकी पुल पर टहलते हुए प्रकृति का ये अद्भुत सौंदर्य देख मन आनंद से भर गया. अगर आपको बीच किनारे बैठकर लहरों का मजा लेना है तो गोवा जाने की जरुरत नहीं, बल्कि ऋषिकेश में ही आप गोवा बीच का मजा ले सकते हैं.


गंगा घाट की खूबसूरती वैसे तो मुझे शुरू से ही पसंद रहे हैं. लेकिन जैसे ही मैं ऋषिकेश के गोवा बीच पहुंची, यहां के नज़ारे देख मन खुश हो गया और गंगा की लहरों संग सेल्फी लेने से रोक नहीं पायी. Rishikesh Goa Beach Lakshman Jhula से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है. ऋषिकेश में होने के बावजूद इसे गोवा बीच क्यों कहा जाता था, मन में ये सवाल भी उस वक़्त गंगा की लहरों जैसे उमड़-घुमड़ रहे थे. बाद में पता चला कि 10-15 सालों से इस जगह को गोवा बीच कहा जा रहा है. दरअसल, यहां विदेशी यात्री खूब आते हैं. विदेशी सैलानियों की भीड़ रहने के कारण ये गंगा घाट धीरे – धीरे गोवा बीच के नाम से फेमस हो गया. देशी टूरिस्ट भी गोवा बीच का नाम सुनकर यहां आने लगे. जिसके बाद से ही सबकी जुबान पर इस गंगा घाट का नाम गोवा बीच चढ़ गया. यहां भी हमने खूब एंजॉय किया. गंगा की बहती लहरों में भींगते, तट पर फैले बालुओं पर दौड़ते – गिरते हुए हमलोगों ने कबड्डी खेलने का मजा लिया. तक़रीबन दो – तीन घंटे यहां बिताने के बाद जब थककर चूर हो गए तो फिर यहां से गाड़ी पर बैठ चल पड़े अपने अगले पड़ाव की ओर. Camping in Rishikesh अब हमें पहाड़ों पर कैंप करना था. वैसे तो ऋषिकेश योग और तीर्थ नगरी के रूप में विख्यात है, लेकिन अब एडवेंचर टूरिज्म के रूप में भी युवाओं के बीच ये शहर अपनी अलग पहचान बना रहा है. यहां आपको रोमांच का पूरा मजा मिलता है. फिर चाहे वो हिमालय की ट्रेकिंग हो, रिवर राफ्टिंग या बंजी जंपिंग, या कोई और रोमांचक खेल, इस शहर में सबकुछ होता है. गोवा बीच का मजा लेने के बाद अब हमलोग पहाड़ों पर चढ़ रहे थे. ट्रेकिंग करते हुए ऊपर पहुंचे तब तक सबकी हालत पस्त हो चुकी थी. पहाड़ों की पथरीली सड़कों पर तक़रीबन दो घंटे पैदल चलने के बाद जब उंचाई पर पहुंचे तब हमें हमारा कैंप दिखना शुरू हुआ. यहां पहुंचते ही हमसभी अपने-अपने टेंट रूम में चले गए. हमलोग यहां शिवपुरी में ठहरे हुए थे. घंटों पैदल चलने की वजह से ग्रुप के सभी लोग काफी थक गए थे. भूख भी जबरदस्त लगी थी. इसलिए कैंप पहुंचते ही सबसे पहले फ्रेश होने चले गए. नाश्ते में पोहा, पूरी-सब्जी, चाय-ब्रेड था. इसे खाने के बाद शरीर को थोड़ी एनर्जी मिली. पेट भर जाने की वजह से अब कुछ देर आराम करने का मन करने लगा. रात को बस का सफ़र और फिर सुबह से घूमना-फिरना, ट्रेकिंग की वजह से काफी थकान हो गई थी. ऐसे में, दोपहर में काफी बढ़िया नींद आई. आंखें खुली तो शाम हो चुकी थी. टेंट से बाहर निकली तो वहां से ऋषिकेश के पहाड़ों की सुंदरता देखते बन रही थी. जहां हम ठहरे थे वहां से चारों तरफ ऊंचे – ऊंचे पहाड़ों और उनके बीच से गुजरते बादलों को देखना काफी सुखद लग रहा था. सच में, आजकल की दौड़-भाग वाली जिंदगी में ऐसा वक्त बहुत कम मिलता है, जब आप अपनी डेली लाइफ की प्रॉब्लम्स को भुला कर सिर्फ और सिर्फ प्रकृति की गोद में हों, और अभी का ये वक्त मेरे लिए बिलकुल वैसा ही था. अभी मैं प्रकृति की इस खूबसूरती को निहार ही रहा था कि अचानक ग्रुप के और लोग भी पहुंच गए. फिर क्या था शुरू हो गई हमसभी की सेल्फी. यहां के दिलकश नज़ारे को हर कोई अपने कैमरे में कैद कर लेना चाहता था।

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